Description
असली नर्मदेश्वर शिवलिंग (Original Narmadeshwar Shivaling) की पहचान के लिए उस शिवलिंग में देखें कि उसमें संगमरमर की तरह चमक हो|
वह शुद्धऔर छेद रहित तथा ठोस हो।
असली नर्मदेश्वर शिवलिंग प्रकृति से काफी वजनदार होते हैं। सबसे बड़ी original narmadeshwar shivling ki pahchan तो यह है कि इन्हें केवल नर्मदा नदी के निकट ही पाया जाता है। नर्मदा नदी के निकट बंकावा नामक गाँव में नर्मदा नदी सेनिकले स्वयंभू शिवलिंग को तराशे जाने के कार्य किया जाता है।
क्या है नर्मदेश्वर शिवलिंग?( What is Narmadeshwar Shivling? )
असली नर्मदेश्वर शिवलिंग शिवलिंगों में सबसे प्रख्यात शिवलिंग है. इस शिवलिंग को बाणलिंग (banalinga) भी कहते हैं. चूँकियह पवित्र नर्मदा नदी के किनारे पाया जाने वाला एक विशेष गुणों वाला शिवलिंग है |
इसलिए इसका नाम असली नर्मदेश्वर शिवलिंग (Narmada Shivling) है और बाणलिंग से ज्यादा नर्मदेश्वर शिवलिंग नाम ज्यादा प्रचलित है.
हिन्दू धर्म में शिवलिंग की पूजा का काफी महत्व बताया गया है। शिवलिंग पूजा में भी नर्मदेश्वर शिवलिंग का सबसे अधिक महत्व है।नमर्दा नदी से निर्मित होने वाले Narmadeshwar Shivling समेत इस नदी का कण–कण शिव है।
नर्मदा पुराण की माने तो नर्मदा शिव की पुत्री है जिन्हें भगवान शंकर का वरदान प्राप्त है। इसलिए narmada river shiva lingam stone को सबसे पवित्र माना जाता है।
मान्यता है कि नर्मदा नदी में स्नान करने से वही फल प्राप्त होता है जो गंगा स्नान से प्राप्त होता है। इस नदी से निकलने वाले हर पत्थरपर भोलेनाथ की कृपा है। इस प्रकार Narmada Shivling भी अत्यधिक ख़ास है।
Narmadeshwar Shivling Benefits (हिंदी में नर्मदेश्वर शिवलिंग लाभ)
Narmadeshwar shivling को ही बाणलिंग कहा जाता है आइये जानते है banalinga benefits के बारे में :
1. घर में सकारात्मक शक्तियों का आगमन होता है और मन भी शांत रहता है।
2. narmada stone shivling की पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
3. यह व्यक्ति के तामसिक गुणों जैसे – क्रोध, ईर्ष्या, घृणा और अहंकार को समाप्त करता है।
4. घर के वास्तु दोष का खात्मा नर्मदेश्वर शिवलिंग के फायदे है।
नर्मदेश्वर शिव लिंग पूजा विधि :
1. प्रातःकाल स्नान करें और शिवलिंग को किसी बड़े थाल में शिव जी प्रतिमा के आगे रखें।
2. इसके पश्चात भगवान शिव की प्रतिमा के आगे बेलपत्र और नैवेद्य अर्पित करें।
3. फिर शिवलिंग पर जल अर्पित करें।
4. उसके बाद भगवान शिव का ध्यान करें और ॐ नमः शिवाय का जाप करें।
5. साथ ही लिंगाष्टक स्तोत्रम् का पाठ भी कर सकते हैं।
6. थाल वाले जल को किसी पौधे में डाल सकते हैं।
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