नर्मदेश्वर शिवलिंग की पौराणिक कथा
प्राचीन काल में नर्मदा नदी ने जब गंगा नदी के समान होने के लिए निश्चय किया और ब्रह्मा जी की तपस्या करने लगी |
ब्रह्मा जी ही एक ऐसे देवता है जो वरदानो के लिए प्रसिद्ध है |
नर्मदा नदी ने बहुत वर्षों तक ब्रह्मा जी की तपस्या की जिससे ब्रह्माजी प्रसन्न हुए ।
प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने माँ नर्मदा को वर मांगने को कहा। नर्मदाजी ने कहा – ’ब्रह्मा जी! यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मुझे आप गंगाजी के समान पाप नाशिनी और मोक्षदायिनी कर दीजिए।’ब्रह्माजी ने मुस्कराते हुए कहा – ’यदि कोई दूसरा देवता भगवान शिव की बराबरी कर सकता है , कोई दूसरा पुरुष भगवान विष्णु के समान हो बन सकता है |
कोई दूसरी नारी पार्वतीजी की समानता कर सकती है | कोई दूसरी नगरी काशीपुरी की बराबरी कर सके तो कोई दूसरी नदी भी गंगा के समान हो सकती है।’ब्रह्माजी की यह बात सुनकर नर्मदा उनके वरदान का त्याग करके काशी चली गयीं और वहां पिलपिलातीर्थ में शिवलिंग की स्थापना करके तप करने लगीं।
भगवान शंकर उनकी तपस्या से बहुत प्रसन्न हुए और वर मांगने के लिए कहा। नर्मदा ने कहा – ’भगवन्! तुच्छ वर मांगने से क्या लाभ? बस आपके चरणकमलों में मेरी भक्ति बनी रहे।’नर्मदा की यह बात सुनकर भगवान शंकर बहुत प्रसन्न हो गए और बोले – ’नर्मदे! तुम्हारे तट पर जितने भी कंकड़ - पत्थर हैं, वे सब मेरे वर से शिवलिंगरूप का रूप धारण कर लेगे |
जिनको सभी नर्मदेश्वर शिवलिंग के नाम से जानेगे तथा इन नर्मदेश्वर शिवलिंग को किसी भी प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नही होगी |
क्युकी यह मेरे वर के कारण स्वयं ही शिवलिंग का रूप धारण कर लेगे जिससे यह स्वयंभू शिवलिंग के नाम से भी जाने जायेगे ।
भोलेनाथ ने एक वर माँ नर्मदा को यह भी दिया की गंगा में स्नान करने पर शीघ्र ही पाप का नाश होता है | यमुना सात दिन के स्नान से और सरस्वती तीन दिन के स्नान से सब पापों का नाश करती हैं परन्तु तुम दर्शनमात्र से सम्पूर्ण पापों का निवारण करने वाली होगी।
तुमने जो नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापना की है, वह पुण्य और मोक्ष देने वाला होगा।’भगवान शंकर उसी लिंग में लीन हो गए।
इतनी पवित्रता पाकर नर्मदा भी प्रसन्न हो गयीं। इसलिए कहा जाता है ‘नर्मदा का हर कंकर शंकर है।’नर्मदेश्वर शिवलिंग की महिमा -
शास्त्रों के अनुसार हजारो मिटटी के शिवलिंग की पूजा करने से जो पूण्य मिलता है वही पूण्य नर्मदेश्वेर शिवलिंग के दर्शन से मात्र से प्राप्त हो जाता है |
नर्मदेश्वेर शिवलिंग को घर में स्थापित करने वाले को सभी सुखो की प्राप्ति होती है तथा परिवार में सुख-शांति का वातावरण रहता है| नर्मदेश्वेर शिवलिंग जिस भी घर में रहता है
उस घर पर भगवान भोले नाथ की कृपा दृष्टि सदैव बनी रहती है |
नर्मदेश्वर शिवलिंग नर्मदा के तल से निकले पत्थरों के बने होते है |
नर्मदा नदी के तेज बहाव तथा भगवान भोलेनाथ वरदान के कारण बड़े-बड़े पत्थर आपस में टकरा- टकरा के एक अंडकार रूप शिवलिंग के जैसी आकृति ले लेते है | जो अत्यंत पवित्र माने गये है|
यह शिवलिंग अनेक आकर-प्रकार की आकृतिया लिए हुए होते ही जिनको मशीनों द्वारा तरसाने पर उनमे आकृतिया उभरती है |
जैसे ॐ आकर की आकृति ,तिलक , जनेऊ, त्रिसुल , अर्द्वनारेश्वर रूप आदि प्रकार की आकृतिया उभरी हुयी देखने को मिलती है |
जिसमे ॐ आकार की आकृति बहुत दुर्लभ होती है |
नर्मदेश्वर शिवलिंग का उल्लेख पुरानो में भी किया गया है नर्मदा नदी का कण-कण बहुत ही पवित्र बताया गया है। इस वजह से इस नदी से निकलने वाले शिवलिंग सबसे ज्यादा पवित्र माने जाते हैं। नर्मदेश्वर शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि वह हमें कई तरह के भय से बचाता है। कहते हैं कि जंहा नर्मदेश्वर शिवलिंग का वास रहता है वह काल और यम का भय नही रहता है।
शिव पूजा में शिवलिंग की महत्ता को देखते हुए इसे घर और मंदिर दोनों जगहों पर स्थापित किया जाता है। इसे इन दोनों जगहों पर स्थापित करने के अलग-अलग नियम हैं। इसमें सबसे सामान्य सी बात यह है कि शिवलिंग की वेदी का मुख उत्तर दिशा में होना चाहिए। कहा जाता है कि नर्मदेश्वर शिवलिंग की आराधना से भक्तो पर भगवान भोलेनाथ की कृपा बरसती है। नर्मदेश्वर शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय उसमें बेलपत्र भी शामिल करना चाहिए। ऐसा करने से भगवान भोले नाथ सैदेव प्रसन्न रहते हैं।नर्मदेश्वर शिवलिंग की पहचान कैसे करे
नर्मदेश्वर शिवलिंग माँ नर्मदा से प्राप्त होता है| इसलिए यह नर्मदेश्वर शिवलिंग आपको विभिन्न कलर , साइज़ और विभिन्न प्रकार की आकृतियों में मिल जाता है| नर्मदेश्वर शिवलिंग को आप ऑनलाइन shivamvastukala.com और ऑफलाइन कही से भी खरीद सकते है|आप किस भी प्रकार का नर्मदेश्वर शिवलिंग खरीद सकते है क्युकि माँ नर्मदा के सभी पत्थर एक समान है| क्युकी माँ नर्मदा के सभी पत्थरो को भगवान शिव का ही रूप माना जाता है जो हमारी सभी समस्यों को का निवारण कर देता है|
इसलिए नर्मदेश्वर शिवलिंग की पहचान करना थोडा मुश्किल काम होता है | और अगर सच्चे मन से और पुरी आस्था से पूजा करे तो ,नर्मदेश्वर शिवलिंग के रूप में भगवान शिव की कृपा द्रष्टि हमेशा हम पर और हमारे परिवार पर बनी रहती हैघर में नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापना कैसे करे -
वैसे तो नर्मदेश्वर शिवलिंग को भगवान शंकर के आशीर्वाद से स्वयंभू माना गया है |
अर्थात ये पहले से सिद्ध होते हैं और इनकी स्थापना बिना किसी प्राण प्रतिष्ठा के भी की जा सकती है अगर आप घर में शिवलिंग की स्थापना करने के बारे में सोच रहे है तो | आपको कुछ बातो का ध्यान रखना चाहिए , इसलिए आपको पूजा करते वक़्त कोई ऐसा काम नी करना चाहिए |
जिसे से भगवान शिव आप की पूजा से रूष्ट हो | हमें हमेशा शिवलिंग की पूजा बढ़ी आस्था और विश्वाश के साथ करना चाहिए , क्युकि ये पूजा बहुत ही फलदायी होती है, जो की आपके जन्म जन्मांतर के पापो का नाश कर देती है |जिस से आप पर भगवान शिव हमेशा प्रसन्न रहे और आपकी सभी मनोकामनाये जल्दी से जल्दी पूरी हो सके| शिवलिंग की पूजा, एक ऐसी पूजा है जिस से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न हो जाते है |
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शिवलिंग से उत्तर दिशा में भी न बैठे। क्योंकि माना जाता है कि इस दिशा में भगवान शंकर का बायां अंग होता है, जो शक्तिरुपा देवी उमा का स्थान है।
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जब भी आप घर में पूजा के दौरान शिवलिंग से पश्चिम दिशा की ओर नहीं बैठना चाहिए। क्योंकि वह भगवान शंकर की पीठ मानी जाती है। इसलिए पीछे से देवपूजा करना शुभ फल नहीं देती
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शिवलिंग कहीं भी स्थापित किये जा रहे हों इनकी वेदी का मुख सदैव उत्तर दिशा की तरफ ही होना चाहिए.
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सवेरे स्नान करके शिवलिंग को एक थाल में रखें.
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मंदिरों में कितना भी बड़ा नर्मदेश्वर शिवलिंग स्थापित किया जा सकता है किन्तु घरों में स्थापित शिवलिंग की ऊंचाई अधिकतम 6 इंच की ही होनी चाहिए
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बेलपत्र और जल की धारा ऊपर से चढ़ाएं.
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शिवलिंग के सामने हाँथ जोड़कर शिव जी के मंत्रों का जाप करें ॐ नमः शिवाय
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नर्मदेश्वर शिवलिंग को घर में स्थापित करने और पूजा अर्चना से घर में शांति का वातावारण बना रहता है.
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शिवलिंग से उत्तर दिशा में भी न बैठे। क्योंकि माना जाता है कि इस दिशा में भगवान शंकर का बायां अंग होता है, जो शक्तिरुपा देवी उमा का स्थान है।
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जब भी आप घर में पूजा के दौरान शिवलिंग से पश्चिम दिशा की ओर नहीं बैठना चाहिए। क्योंकि वह भगवान शंकर की पीठ मानी जाती है। इसलिए पीछे से देवपूजा करना शुभ फल नहीं देती
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शिवलिंग कहीं भी स्थापित किये जा रहे हों इनकी वेदी का मुख सदैव उत्तर दिशा की तरफ ही होना चाहिए.
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सवेरे स्नान करके शिवलिंग को एक थाल में रखें.
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मंदिरों में कितना भी बड़ा नर्मदेश्वर शिवलिंग स्थापित किया जा सकता है किन्तु घरों में स्थापित शिवलिंग की ऊंचाई अधिकतम 6 इंच की ही होनी चाहिए
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बेलपत्र और जल की धारा ऊपर से चढ़ाएं.
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शिवलिंग के सामने हाँथ जोड़कर शिव जी के मंत्रों का जाप करें ॐ नमः शिवाय
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नर्मदेश्वर शिवलिंग को घर में स्थापित करने और पूजा अर्चना से घर में शांति का वातावारण बना रहता है.