अर्धनारीश्वर नर्मदेश्वर शिवलिंग (Ardhanarishwar Narmadeshwar Shivling)
जैसा की हम सभी जानते है की माँ नर्मदा की गोद से निकलने वाला हर पत्थर भगवान भोले नाथ का स्वरूप है जिन्हें हम नर्मदेश्वर शिवलिंग कहते है |
इन्ही शिवलिंगों में अति दुर्लभ शिवलिंग अर्धनारीश्वर नर्मदेश्वर शिवलिंग (Ardhanarishwar Narmadeshwar Shivling) है |
जो माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ का सयुक्त रूप है |
जिसमे आधा रूप भोलेनाथ का है और आधा माता पार्वती का है | जिससे सम्पूर्ण सृष्टी उत्पन्न होती है, इसीलिए भगवान भोले नाथ और माता पार्वती को जगत के माता-पिता कहा जाता है |
भगवान शिव समस्त प्राणियों को सुख देने वाले तथा सम्पूर्ण लोको का कल्याण करने वाले हैं | उनका अर्धनारीश्वर अवतार परम कल्याणकारी हैं |
नर्मदेश्वर शिवलिंग में अर्धनारीश्वर स्वरुप देखने के लिए शिवलिंग में दो आधे आधे कलर देकना होता है , जो शिवलिंग बीचो बिच दो रंग का होता है , वही अर्धनारीश्वर शिवलिंग कहलाता है |
भगवान शिव की अर्धनारीश्वर नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा सभी प्रकार के अभय प्रदान करने वाली तथा सभी प्रकार की मनोकामनाओ को पूर्ण करने वाली हैं |भगवान शिव ने विविध कल्पो में असंख्य अवतार लिए उन्ही में से एक अवतार हैं अर्धनारीश्वर अवतार हैं | भगवान शिव की पूजा अर्चना सदियों से हो रही है लेकिन इस बात को बहुत कम लोग ही जानते हैं कि शिव का एक और रूप है जो है अर्धनारीश्वर |
अर्धनारीश्वर नर्मदेश्वर शिवलिंग की कहानी
स्त्री-पुरुष की समानता का पर्याय है | जिस प्रकार भगवान शंकर का आधा शरीर स्त्री का तथा आधा शरीर पुरुष का है। यह अवतार स्त्री व पुरुष दोनों की समानता का संदेश देता है। समाज, परिवार तथा जीवन में जितना महत्व पुरुष का है उतना ही स्त्री का भी है।
एक दूसरे के बिना इनका जीवन अधूरा है | ये दोनों एक दुसरे के पूरक हैं |
भगवान शिव की पूजा भी शिवलिंग और जलहरी के रूप में की जाती है | जिसमे भगवान भोले नाथ शिवलिंग के रूप में विरजमान है और माता पार्वती को जलहरी के रूप में पूजा जाता है |
इससे हमें भागवान यह सन्देश देना चाहते है की नर और नारी एक दुसरे से अलग नही बल्कि एक दुसरे के पूरक है | जो मिलकर नवजीवन का निर्माण करते है सृष्टी रचना में भी पुरुष और स्त्री के सहयोग की बात कही गयी है पुरुष और स्त्री मिलकर ही पूर्ण होते है | हिन्दू धर्म में कोई भी शुभ काम स्त्री के बिना पूरा नही माना जाता है| क्युकी वह उसका आधा अंग है इसी कारण स्त्री को अर्धिनी कहा जाता है |
शिवपुराण के अनुसार अर्धनारीश्वर कथा
पौराणिक कथा के अनुसार ब्रह्मा जी को सृष्टि के निर्माण का कार्य सौंपा गया था | तब तक भगवान शिव ने सिर्फ विष्णु और ब्रह्मा जी को ही अवतरित किया था |
किसी भी नारी की उत्पति नहीं हुई थी। जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि के निर्माण का काम शुरु किया, तब उनको ज्ञात हुआ की उनकी ये सारी रचनाएं तो जीवनोपरांत नष्ट हो जाएंगी और हर बार उन्हें नए सिरे से सृजन करना होगा। उनके सामने यह एक बहुत ही बड़ी दुविधा थी कि इस तरह से सृष्टि की वृद्धि आखिर कैसे होगी।
तभी एक आकाशवाणी हुई कि वे मैथुनी यानी प्रजनन सृष्टि का निर्माण करें, ताकि सृष्टि को बेहतर तरीके से संचालिक किया जा सके। अब उनके सामने एक नई दुविधा थी कि आखिर वो मैथुनी सृष्टि का निर्माण कैसे करें। बहोत सोच-विचार करने के बाद वे भगवान शिव के पास पहुंचे और शिव को प्रसन्न करने के लिए ब्रह्मा जी ने कठोर तपस्या की | उनके तप से भगवान शिव प्रसन्न हुए। ब्रह्मा जी के तप से प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ ने अर्धनारीश्वर स्वरुप में दर्शन दिए।
जब उन्होंने इस स्वरुप में दर्शन दिया तब उनके शरीर के आधे भाग में साक्षात शिव नज़र आए और आधे भाग में स्त्री रुपी शिवा यानि शक्ति अपने इस स्वरुप के दर्शन से भगवान शिव ने ब्रह्मा को प्रजननशिल प्राणी के सृजन की प्रेरणा दी। उन्होंने ब्रह्मा जी से कहा कि मेरे इस अर्धनारीश्वर स्वरुप के जिस आधे हिस्से में शिव हैं वो पुरुष है और बाकी के आधे हिस्से में जो शक्ति है वो स्त्री है।
आपको स्त्री और पुरुष दोनों की मैथुनी सृष्टि की रचना करनी है, जो प्रजनन के ज़रिए सृष्टि को आगे बढ़ा सके। इस तरह शिव से शक्ति अलग हुईं और फिर शक्ति ने अपनी मस्तक के मध्य भाग से अपने ही समान कांति वाली एक अन्य शक्ति को प्रकट किया। इसी शक्ति ने फिर दक्ष के घर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया, जिसके बाद से मैथुनी सृष्टि की शुरुआत हुई और विस्तार होने लगा।
अर्धनारीश्वर शिवलिंग की पूजा के फायदे
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-जो भी व्यक्ति अर्द्धनारीश्वर नर्मदेश्वर शिवलिंग का पूजन करता है उसे अखंड सौभाग्य, पूर्ण आयु, संतान प्राप्ति, संतान की सुरक्षा, कन्या विवाह, अकाल मृत्यु निवारण व आकस्मिक धन की प्राप्ति होती है।
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अर्धनारेश्वर नर्मदेश्वर शिवलिंग के दर्शन से समस्त संकटो से निवृति मिलती है
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शिव पूजन के लिए जगतपिता ब्रह्मा ने ऋषियों को एक विधि बताई थी जिसके अनुसार व्यक्ति को ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए तथा जगदंबा माता पार्वती और शिव का नित्य स्मरण करना चाहिए। इससे वैवाहिक जीवन में कोई बाधा या विघ्न नहीं पड़ेगा तथा सुख और शांति का प्रभाव जीवन में सदैव बना रहेगा
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भगवान शिव की अर्धनारेश्वेर शिवलिंग मूर्ति की पूजा करने से सुंदर पत्नी और सुखी वैवाहिक जीवन की प्राप्ति होती है।